
Q1. ‘सुमित सो रहा है’ वाक्य में क्रिया का भेद है
(a) अकर्मक
(b) सकर्मक
(c) प्रेरणार्थक
(d) द्विकर्मक
Q2. ‘वृक्ष से पत्ते गिरते हैं’- इस वाक्य में से किस कारक का चिह्न है?
(a) कर्म
(b) करण
(c) अपादान
(d) अधिकरण
Q3. ‘संस्कृति’ का विशेषण है?
(a) संस्कृत
(b) सांस्कृति
(c) संस्कृतिक
(d) सांस्कृतिक
Q4. ‘यथासम्भव’ की व्याकरणिक कोटि बताइए
(a) अव्यय
(b) संज्ञा
(c) सर्वनाम
(d) सम्बन्ध
Q5.’मैंने तेरे को कहा तो था’ , में कारक सम्बन्धी अशुद्धि का निराकरण निम्नलिखित शब्दों में से चयन करके कीजिए
(a) तुझे
(b) तुझसे
(c) तुमसे
(d) इनमें से कोई नहीं
Q6. वह तेज दौड़ता है, में मोटे छपे शब्द की व्याकरणिक कोटि बताइए
(a) संज्ञा
(b) विशेषण
(c) प्रविशेषण
(d) क्रिया विशेषण
Q7. ब्राह्मणत्व किस प्रकार की संज्ञा है?
(a) जातिवाचक
(b) भाववाचक
(c) व्यक्तिवाचक
(d) समूहवाचक
Q8. ‘चिड़िया आकाश में उड़ रही है।’ इस वाक्य में उड़ रही क्रिया किस प्रकार की है?
(a) अकर्मक
(b) सकर्मक
(c) समापिका
(d) असमापिका
Q9. निम्नलिखित वाक्यों में से किस वाक्य में सर्वनाम का अशुद्ध प्रयोग हुआ है?
(a) वह स्वंय यहाँ नहीं आना चाहता।
(b) आपके आग्रह पर मैं दिल्ली जा सकता हूँ।
(c) मैं तेरे को एक घड़ी दूँगां
(d) मुझे इस बैठक की सूचना नहीं थी।
Q10. ‘मुझे’ किस प्रकार का सर्वनाम है?
(a) उत्तम पुरुष
(b) मध्यम पुरुष
(c) अन्य पुरुष
(d) इनमें से कोई नहीं
Solutions
S1. Ans.(a)सकर्मक क्रिया :-वाक्य में जिस क्रिया के साथ कर्म भी हो, तो उसे सकर्मक क्रिया कहते है।
अकर्मक क्रिया :– वे क्रिया जिनको करने के लिए कर्म की आवश्यकता नहीं होती है अकर्मक क्रिया कहलाती है।
प्रेरणार्थक क्रिया –जब कर्ता किसी कार्य को स्वयं न करके किसी दूसरे को कार्य करने की प्रेरणा दे तो उस क्रिया को प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं।जैसे- काटना से कटवाना, करना से कराना।
द्विकर्मक क्रिया :– द्विकर्मक अर्थात दो कर्मो से युक्त। जिन सकमर्क क्रियाओं में एक साथ दो-दो कर्म होते हैं, वे द्विकर्मक सकर्मक क्रिया कहलाते हैं।
S2. Ans.(c)कारक के नाम व उनके विभक्ति चिन्ह
कर्ता – ने
कर्म -को
करण -से
संप्रदान- के लिए
अपादान- से (अलग)
संबंध- का के की रा रे री
अधिकरण- में पै पर
संबोधन- हे अरे ओ
S3. Ans.(d)
S4. Ans.(a)’यथासम्भव’ की व्याकरणिक कोटि अव्यय है | यह रीतिवाचक क्रियाविशेषण का उदारहण है |
निश्चय, अनिश्चय, स्वीकार, कारण, निषेध इत्यादि अर्थों का बोधक – यथासंभव, ऐसे, वैसे, अवशय, ही, भी , इत्यादि
S5. Ans.(c)
S6. Ans.(d) रीतिवाचक क्रियाविशेषण – जिन अविकारी शब्दों से क्रिया की रीति या विधि का पता चलता है, उसे रीतिवाचक क्रिया-विशेषण कहते हैं। जैसे – सचमुच, ठीक, अवश्य, कदाचित, ऐसे, वैसे, सहसा, तेज, सच, झूठ, धीरे, ध्यानपूर्वक, हंसते हुए, तेजी से, फटाफट आदि।
S7. Ans.(b)जातिवाचक संज्ञा = भाववाचक संज्ञा
ब्राह्मण = ब्राह्मणत्व
S8. Ans.(b)समापिका क्रिया- हिन्दी में क्रिया सामान्यतः वाक्य के अंत में लगती है। वाक्य क्रिया से समाप्त होता है, इसी कारण ऐसी क्रिया को समापिका क्रिया कहा जाता है।
उदाहरण- राम विद्यालय गया।
इसने भिखारी को खाना खिलाया।
असमापिका क्रिया- जो क्रिया अपने सामान्य स्थान, वाक्य के अंत में, न आकर कहीं अन्यत्र आए, वह असमापिका क्रिया कहलाती है।
उदाहरण- उसने डूबते बच्चे को बचा लिया।
यही कहते हुए वह चला गया।
S9. Ans.(c)
S10. Ans.(a)उत्तम पुरुषवाचक-जिन सर्वनामों का प्रयोग बोलने वाला अपने लिए करता है, उन्हें उत्तम पुरुषवाचक कहते है।
जैसे- मैं, हमारा, हम, मुझको, हमारी, मैंने, मेरा, मुझे आदि।
उदाहरण- मैं स्कूल जाऊँगा।
हम मतदान नहीं करेंगे।
मध्यम पुरुषवाचक-जिन सर्वनामों का प्रयोग सुनने वाले के लिए किया जाता है, उन्हें मध्यम पुरुषवाचक कहते है।
जैसे- तू, तुम, तुम्हे, आप, तुम्हारे, तुमने, आपने आदि।
उदाहरण- तुमने गृहकार्य नहीं किया है।
तुम सो जाओ।
अन्य पुरुषवाचक-जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग किसी अन्य व्यक्ति के लिए किया जाता है, उन्हें अन्य पुरुषवाचक कहते है।
जैसे- वे, यह, वह, इनका, इन्हें, उसे, उन्होंने, इनसे, उनसे आदि।
उदाहरण- वे मैच नही खेलेंगे।
उन्होंने कमर कस ली है।